लाल किला दिल्ली के बारे में पूरी जानकारी।

दिल्ली में घूमने के लिए कई जगह हैं उन्ही में से एक आकर्षण का केंद्र है लाल किला। भारत में मौजूद सभी किलों में से लाल किला सबसे ज्यादा मशहूर है। यमुना नदी के तट पर बने इस किले को देखने पर मुग़लों के शासन की झलक दिखाई पड़ती है। 256 अकड़ में फैले इस किले में कई तरह के महल हैं जिनके वास्तुकार और शिल्पकारी लाजवाब है। देश विदेश से लोग इस किले को देखने के लिए आते हैं। ये दिल्ली के बीचों बीच स्थित है, यहां बहुत से संग्रहालय, इतिहासिक कलाकृति है, देश विदेश से लोग इस किले को देखने के लिए आते हैं।1648 में इसे बनाया गया, और उस समय मुग़ल सम्राज के पांचवें मुग़ल शासक शाहजहाँ का राज्य था, व् दिल्ली को शाहजहांनाबाद कहा जाता था. लाल किले को लाल पत्थर से बनाया गया था, इसलिए इसे लाल किला कहा गया. लाल किले का आर्किटेक्चर स्टाइल बहुत अनोखा है, यहाँ का गार्डन, महल, दीवारे खास, सब कुछ बहुत सोच समझ कर बनाया गया है, यहाँ भारत देश के अलग अलग संस्कृति की झलक देखने को मिलती है।  
भारत की शान लाल किले पर आजादी के बाद सबसे पहले पंडित जवाहरलाल नेहरु ने हमारा राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा झंडा फ़हराया था.  इसके बाद से हर साल आजादी दिवस यानि स्वतंत्रता दिवस के मौके पर यहाँ तत्कालीन प्रधानमंत्री द्वारा ध्वजा रोहण होता है।  

 

रेड फोर्ट किसने बनाया
लाल किला का निर्माण 1639 में प्रख्यात मुगल सम्राट शाहजहाँ ने करवाया था। अपने शासनकाल के दौरान उन्होंने कुछ बेहतरीन वास्तुशिल्प बनवाई थी, जो दुनिया भर में मुगल वास्तुकला का सबसे अच्छा उदाहरण हैं। शाहजहाँ का पसंदीदा रंग लाल व् सफ़ेद हुआ करता था, इसलिए इसके पत्थर का चुनाव लाल रंग का हुआ. इसे उस समय के वास्तुकार उस्ताद अहमद लाहौरी ने डिजाईन किया था, इन्होने आगरा की शान ताजमहल जैसी महान कृति को भी डिजाईन किया था।  किले का निर्माण यमुना नदी के तट पर किया गया था, किला तीन तरफ से नदी से घिरा हुआ है।  किले का निर्माण कार्य मुसलमानों के पावन दिन मुहरम पर 13 मई 1638 को शुरू किया गया।  किले की पहली नींव इज्जर खान ने रखी थी. शाहजहाँ चाहते थे कि दिल्ली में उनका यह किला सबसे बड़ा हो, वे उसे लाहोर व् आगरा के किलों से भी बड़ा चाहते थे। किले को बनने में 10 साल का समय लगा था।

 

लाल किले में बने दर्शनीय स्थल 
छाबरी बाजार
– यह लाल किले के सामने मौजूद है।  
लाहोरी दरवाजा – लाल किले का यह मुख्य दरवाजा है, लाहौर की तरफ मुख होने से इसे ये नाम दिया गया।  आजादी के बाद से यही हर साल ध्वजारोहण होता है, और यहाँ की बालकनी से प्रधानमंत्री देश के नाम अपना सन्देश पढ़ते है।
पानी दरवाजा – यह छोटा दरवाजा है, जो दक्षिण पूर्व में स्थित है।  यह नदी के तट के समीप था, इसलिए इसका यह नाम पड़ गया।
रंग महल – यह भी मुमताज महल की तरह ही रानियों के लिए बना हुआ था।  यहाँ बीच में एक पूल भी था जिसे नहर-ए-बहिश्त (यह एक नहर थी, जो यमुना नदी से महल को जोड़ती थी) के द्वारा भरा जाता था।
मोती मश्जिद – इसे औरंगजेब के द्वारा 1659 में बनवाया गया था, ये औरंगजेब की निजी मस्जिद थी।  
दिल्ली दरवाजा – यह किले के दक्षिण की ओर है। इसका रूप, बनावट बिलकुल मुख्य लाहोरी दरवाजे जैसी है।  इस दरवाजे के दोनों और पत्थर के विशाल हाथी बने हुए है।
चट्टा चौक – लौहोर गेट से अंदर जाते ही चट्टा बाजार है, यहाँ मुगलों के समय में हार्ट लगा करता था, जहाँ सिल्क, ज्वेलरी व् और भी अन्य आइटम बेचे जाते थे।
मुमताज महल – यह राजाओं की पत्नी व् दसियों के लिए बना हुआ था, यहाँ आज के समय में संग्रहालय है।  
दीवाने खास – इसे संगरमर और बहुमूल्य पत्थरों से बनाया गया था।  यह राजा का पर्सनल रूम हुआ करता था, इसे भी बहुमूल्य पत्थर व् रत्नों से बनाया गया था।
दीवान-ए-आम – यह राजा का मुख्य कोर्ट हुआ करता था, यहाँ वे सारे फैसले लिया करते थे. यह 540 फीट चौड़ा व् 420 फीट गहरा बना हुआ था। जिसके चारों ओर गैलरी बनी हुई थी। इसके सामने जनता के लिए हॉल भी था।  

 

स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले पर तिरंगा फहराया जाता है 
हर साल 15 अगस्त के दिन भारत के स्वतंत्रता दिवस के ख़ास मौके पर देश के प्रधानमंत्री क़िला पर अपना भाषण देते हैं।

 

लाल किला घूमने का समय 
अगर आप लाल किला घूमने आना चाहते हैं तो बता दें की यह सुबह 9:30 बजे से शाम 4:30 बजे तक खुला रहता है। लाल किला आप मंगलवार से रविवार तक घूम सकते हैं। सोमवार के दिन यह बंद रहता है। शाम को यहाँ लाइट शो भी होते हैं जो की हिंदी और अंग्रेजी दोनों में से आप किसी में भी भाषा देख सकते हैं। लाइट शो यहाँ शाम 7 बजे से शुरू होते हैं। अंग्रेजी और हिंदी भाषा के लाइट शो का टाइम अलग-अलग है।