सिद्धिविनायक मंदिर मुंबई – Siddhivinayak Temple Mumbai

महाराष्ट्र राज्य के मुंबई में स्थित सिद्दिविनायक मंदिर भारत में गणेश के सबसे प्रमुख मंदिर में से एक है। इस मंदिर की दुनिया भर में अपनी एक अलग पहचान है जिसकी वजह से देश-विदेश से लोग श्री गणेश भगवान के दर्शन के लिए आते हैं।

1801 में लक्ष्मण विठू और देउबाई पाटिल द्वारा निर्मित करवाये गये इस मंदिर में भगवान गणेश की एक मूर्ति स्थापित है जिसके पीछे एक बहुत खास कहानी है। इस मंदिर का नाम सिद्दिविनायक इसलिए पड़ा क्योंकि इस मंदिर में गणेश जी की मूर्ति की सूड दाई ओर मुड़ी होती हैं और सिद्धि पीठ से जुड़ी है।

भगवान के शरीर से ही इस मंदिर का नाम सिद्दिविनायक हुआ है। इस मंदिर में आने वाले भक्तों को गणेश के ऊपर अटूट विश्वास होता है उनका मानना है कि भगवान उनकी मनोकामना पूरी करेंगे।

बता दें कि यह मंदिर मुंबई के सबसे धनी मंदिरों में से एक है, जहां पर प्रतिदिन भारी संख्या में लोग आते हैं। माना जाता है कि इस मंदिर में भगवान गणेश की प्रतिमा स्वयंभू है।

 

1. सिद्धिविनायक मंदिर खास क्यों है- Siddhivinayak Mandir Ki Khasiyat


सिद्धिविनायक मंदिर भारत का एक ऐसा प्रसिद्ध मंदिर है जो भगवान गणेश को समर्पित है। महाराष्ट्र राज्य के मुंबई शहर के प्रभादेवी में सबसे महत्वपूर्ण और व्यस्त मंदिर है, जिसका निर्माण वर्ष 1801 में लक्ष्मण विठू और देउबाई पाटिल ने करवाया था। कहा जाता है कि इस दंपत्ति की कोई संतान नहीं थी और उन्होंने फिर द्धिविनायक मंदिर बनाने का फैसला किया ताकि यहां बांझ महिलाओं की इच्छा पूरी हो सके।

2. सिद्धिविनायक मंदिर का इतिहास- Siddhivinayak Temple History


सिद्धिविनायक मंदिर को बनवाने के पीछे एक कहानी है जिसके बारे में शायद आप नहीं जानते होंगे। बता दें कि लक्ष्मण विठू और देउबाई पाटिल दंपत्ति की कोई संतान नहीं थी तो उन्होंने साल 1801 में भगवान गणेश का एक मंदिर बनाने का फैसला लिया ताकि उस मंदिर में आकर निःसंतान दंपतियों की इच्छायें पूरी हो सके और उन्हें आर्शीर्वाद के रूप में बच्चा प्राप्त हो।

इस मंदिर की मूल संरचना चौकोर नुकीला एक गुंबद के आकार के शिखर से सजी है। बता दें कि एक बार रामकृष्ण जम्भेकर महाराज ने हिंदू संत अक्कलकोट स्वामी समर्थ के एक शिष्य अपने गुरु की आज्ञा का पालन करते हुए मंदिर के इष्टदेव के सामने दो दिव्य मूर्तियों को गढ़ा दिया था। स्वामी समर्थ की भविष्यवाणी के अनुसार 21 वर्षों की अवधि के बाद दफन मूर्तियों से एक मंदार का पेड़ उग आया जिसकी इसकी शाखाओं में स्वयंभू गणेश की छवि सामने आई।

3. सिद्धिविनायक मंदिर वास्तुकला – Siddhivinayak Temple Architecture

सिद्धिविनायक मंदिर की भव्य संरचना में एक प्राथमिक ‘कलश’ शामिल है, जो 12 फीट की ऊँचाई तक, तीन 5 फीट तक और 33 अन्य जो 3.5 फीट की ऊंचाई पर खड़े हैं। इस तरह यह 37 गुंबद मुख्य मंदिर परिसर को आकर्षित करते हैं। सिद्धिविनायक मंदिर के पुराने भाग में एक हॉल, मुख्य गर्भगृह, एक बरामदा और एक पानी की टंकी है। इस मंदिर की भव्यता को बढाने के लिए एक नया मंदिर परिसर बनाया गया है जिससे कि इस मंदिर की भव्यता को बढाया जा सके।

वास्तुकार शरद अथले ने मंदिर के डिजाइन को अंतिम रूप देने से पहले राजस्थान और तमिलनाडु में मंदिरों का अध्ययन किया। सारी जरुरी व्यवस्था करने के बाद वर्ष 1990 में सिद्धिविनायक मंदिर का निर्माण शुरू किया गया था। भगवान की पुरानी मूर्ति को बहु कोणीय छः मंजिला रखा गया था, जो सोने की परत वाले गुंबदों के ऊपर बनी थी। अंदर जाने के लिए तीन मुख्य प्रवेश द्वारों को बनाया गया और इस मंदिर के मुकुट को भी एक नया रूप दिया। तीन साल तक काम चलने के बाद सिद्धिविनायक मंदिर एक आकर्षक मंदिर के रूप में हम सभी के सामने आया।

4. सिद्धिविनायक मंदिर आरती का समय- Siddhivinayak Temple Aarti Timings 

सिद्धिविनायक मंदिर में भगवान् गणेश जी की आरती बेहद खास होती है। यहाँ हम आपको इस मंदिर की आरती के बारे में पूरी जानकारी दे रहे हैं जो आपको सिद्धिविनायक में यहां मनाए जा रहे खास उत्सव् और त्योहार के अनुसार अपनी यात्रा की योजना बनाने में मदद करेगा