राजस्थान के दौसा जिले में मेहंदीपुर का बालाजी मंदिर (Mehandipur Balaji Temple) का मंदिर है। जयपुर से करीब 100 Km दूर मेहंदीपुर बालाजी का ये धाम भगवान हनुमान के 10 प्रमुख सिद्धपीठों में गिना जाता है। वर्षों पुराना यह मंदिर बहुत अधिक सिद्धि प्राप्त है।
मेहंदीपुर बालाजी मंदिर में तीन भगवान की पूजा की जाती है। लेकिन इस मंदिर में हनुमान की मुख्य रूप से पूजा की जाती है और इसके अलावा प्रेतराज और भैरव को भी पूजा जाता है। मंदिर के इन तीनों देवताओं को भूतों और आत्माओं से संबंधित माना जाता है। मंदिर में बालाजी की जिस मूर्ति की पूजा की जाती है उसके बारे में यह कहा जाता है कि यह मूर्ति अपने आप प्रकट हुई थी। बताया जाता है कि इस जगह पर हनुमान जी की लील बाल काल से ही शुरू हो गई थी इसलिए इस मंदिर को बालाजी के नाम से जाना जाता है। भक्तों का मानना है कि इस मंदिर में एक दिव्य शक्ति है जो बुरी आत्माओं के चंगुल में फंसे लोगों को ठीक करने की ताकत रखती है। अगर आप लौकिक शक्तियों या भूतों पर विश्वास नहीं करते तो इस मंदिर में आने के बाद आप इन सभी चीजों पर विश्वास करने लगेंगे।
ये चमत्कार कैसे होता है, यह कोई नहीं जानता है? लेकिन लोग सदियों से भूत-प्रेत और बुरी आत्माओं से मुक्ति के लिए दूर-दूर से यहां आते हैं।
ये है यहां की पौराणिक कथा
ऐसी मान्यता है कि बालाजी महाराज के हजारों गण यानि कि अतशप्त आत्माएं यहां बालाजी के नित्य लगने वाले भोग की खुशबू से तृप्त हो रही हैं। इसलिए यहां भूत प्रेत के साये से परेशान लोग आते हैं और ठीक होकर जाते हैं।
मंदिर से जुडी कहानी है कि यहां तीन देवों की प्रधानता है— श्री बालाजी महाराज, श्री प्रेतराज सरकार और श्री कोतवाल (भैरव)।
यह तीन देव यहां आज से लगभग 1000 वर्ष पूर्व प्रकट हुए थे। इनके प्रकट होने से लेकर अब तक बारह महंत इस स्थान पर सेवा-पूजा कर चुके हैं और अब तक इस स्थान के दो महंत इस समय भी विद्यमान हैं।
सबसे पहले मेहंदीपुर धाम में घना जंगल हुआ करता था और यहां जंगली जानवरों का वास था और सुनसान होने के कारण यहां चोर-डाकुओं का भी डर था। ऐसे में आम आदमी की पहुंच इस जगह से काफी दूर थी।
पुरानी कहानी के अनुसार यहां एक मंदिर के सबसे पुराने महंत के पूर्वजों को सपना आया और सपने में ही उठकर एक बड़ी विचित्र जगह पहुंच गए। उन्होंने देखा कि एक ओर से हजारों दीपक प्रज्वलित थे और हाथी-घोड़ों की आवाज के साथ एक बहुत बड़ी फौज चली आ रही है।
उस फौज ने बालाजी महाराज की मूर्त्ति की तीन प्रदक्षिणाएं की और उन्हें प्रणाम किया। उसके बाद वे जिस रास्ते से आए थे, उसी रास्ते से चले गए। महाराज ये सब लीला बहुत ही आश्चर्य के साथ देख रहे थे। उन्हें ये सब देखने के बाद डर लगा और वे वापस अपने गांव चले गए। घर जाकर उन्होंने इस लीला के बारे में बहुत सोचा, वहीं जैसे ही उनकी आंखें लगी तो उन्हें एक और सपना आया।
इस बार सपने में तीन मूर्त्तियां, मन्दिर और विशाल वैभव दिखाई पड़ा और उनके कानों में यह आवाज आयी - उठो, मेरी सेवा का भार ग्रहण करों। मैं अपनी लीलाओं का विस्तार करूंगा। यह बात कौन कह रहा था, कोई दिखाई नहीं पड़ा। महाराज ने एक बार भी इस पर ध्यान नहीं दिया तो खुद हनुमान जी महाराज ने इस बार स्वयं उन्हें दर्शन दिए और उन्हें पूजा करने का आदेश दिया।
दूसरे दिन महाराज ने आस-पास के लोगों को सारी बातें बताई। सपने के बताए अनुसार खुदाई की गई वहां से प्रतिमा निकल कर आ गई। कुछ लोगों ने वहां एक छोटे से मंदिर की स्थापना करवा दी और भोग की व्यवस्था भी करवा दी। ऐसा होने से वहां चमत्कार होने लगे। कुछ कपटी और दुष्ट लोगों ने इसे ढोंग माना। बालाजी महाराज की प्रतिमा/ विग्रह जहाँ से निकाली थी, वह मूर्ति फिर से वहीं लुप्त हो गई। इससे सभी लोगों ने शक्ति को माना और क्षमा मांगी। लोगों के क्षमा मांगने के बाद मूर्तियाँ दिखाई देने लगी।
रहस्य यह है कि महाराज की बायीं ओर छाती के नीचे से एक बारीक जलधारा निरन्तर बहती रहती है जो पर्याप्त चोला चढ़ जाने पर भी बंद नहीं होती। उस जल के छींटे भक्तों के लगते हैं और इसे बालाजी का आशीर्वाद माना जाता है।
मेहंदीपुर बालाजी मंदिर का रहस्य और रोचक तथ्य –
राजस्थान के मेहंदीपुर बालाजी के बारे में कहा जाता है कि जिन व्यक्तियों के ऊपर भूत-प्रेत और बुरी आत्माओं का वास होता है, वे यहां की प्रेतराज सरकार और कोतवाल कप्तान के मंदिर में प्रवेश करने से ही चीखने-चिल्लाने लगते हैं और फिर वे बुरी आत्माएं, भूत-पिशाच आदि पीड़ितों के शरीर से बाहर निकल जाती हैं। यह जगह जादुई शक्तियों से युक्त है और यहां आने से बुरी आत्माओं से मुक्ति मिलती है, इसलिए हर दिन हजारों भक्त इस तीर्थ स्थल की यात्रा करते हैं।
मेहंदीपुर बालाजी मंदिर के नियम
जब भी आप मंदिर के दर्शन करने के लिए जाएं तो अंदर अजनबियों को स्पर्श करने या बातचीत करने से बचें।
मंदिर के अंदर कुछ भी पिए या खाए नहीं।
मेहंदीपुर बालाजी मंदिर जाने से पहले मांस, प्याज या नॉन-वेज खाना भोजन कभी न करें।
मंदिर से अपने घर वापस जाते समय कोई भी प्रसाद या खाद्य सामग्री न ले जाएँ।
मंदिर से बाहर जाते समय कभी पीछे मुड़ कर नहीं देखें। कौन जनता है कि कोई बुरी आत्मा आपको देख रही हो।
जब आप अपने घर वापस जाते हैं तो खाने के पैकेट और पानी की बोतल को खाली कर दें।
मेहंदीपुर बालाजी मंदिर खुलने और बंद होने का समय
मेहंदीपुर बालाजी मंदिर भक्तों के लिए 24 घंटे खुला रहता है।