एलोरा गुफा भारत के महाराष्ट्र राज्य में औरंगाबाद जिले में स्थित यूनेस्को की एक विश्व विरासत स्थल है। एलोरा केव्स औरंगाबाद के उत्तर-पश्चिम में लगभग 29 किलोमीटर और मुबई से लगभग 300 किलोमीटर की दूरी पर स्थित हैं। एलोरा की गुफाएं बहुत ही शानदार रूप में कठिन कारीगरी से बनाए गए थे। यह दुनिया के सबसे प्राचीन रॉक कट गुफा मंदिरों का एक समूह है जिसे यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल के अंतर्गत भी लिया गया है। इसमें प्राचीन वास्तु कला की अनोखी छाप देखने को मिलती है।
एल्लोरा गुफा का इतिहास
एलोरा की सभी गुफाओं और स्मारकों का निर्माण हिन्दू राजवंशों जैसे – राष्ट्रकूट वंश के समय के दौरान हुआ था। जिन्होंने हिंदू और बौद्ध धर्म से सम्बंधित गुफाओं को बनाया था। यादव वंश के द्वारा जैन धर्म से सम्बंधित यहां की कई गुफाओं का निर्माण किया गया था। इन स्मारकों के निर्माण के लिए धन को यहां के कई व्यापारियों और क्षेत्र के अमीरों व्यक्तियों से प्राप्त किया गया था। एलोरा की गुफाएं मठों, मंदिरों और तीर्थयात्रियों के लिए शानदार विश्राम स्थल के रूप में जानी जाती हैं। एलोरा के नजदीक में ही विश्व प्रसिद्ध अजंता की गुफा भी हैं, जोकि महारास्ट्र की प्रसिद्धी को ओर अधिक बड़ा देती हैं।`
इन्हें ऊँची बेसाल्ट की खड़ी चट्टानों की दीवारों को काट कर बनाया गया हैं। यह मंदिर केवल एक खंड को काटकर बनाया गया है। इसका निर्माण ऊपर से नीचे की ओर किया गया है। इसके निर्माण के क्रम में लगभग 40 हज़ार टन भार के पत्थरों को ताला से बचाया गया है। इसके निर्माण के लिए पहले खंड अलग किया गया और फिर इस पर्वत खंड को भीतर से काट - काट कर 90 फुट ऊँचा मंदिर बनाए गए है।
ऐलोरा गुफाओं के आस-पास घूमने वाली जगहें
एल्लोरा में 34 गुफाओं को घूम लेने भर से आपको संतुष्टि हो जाएगी, लेकिन फिर भी अगर आप चाहें तो इसके आस-पास के अन्य पर्यटन स्थल भी देखने जा सकते हैं।
दौलताबाद किला
दौलताबाद औरंगाबाद से 13 किमी की दूरी पर स्थित है। यह किला, जिसे कभी देवगिरी के नाम से जाना जाता था, ये किला 12 वीं शताब्दी का एक शानदार किला है जो एक पहाड़ी के ऊपर खड़ा है। इससे शानदार वास्तुकला के साथ बनाया गया है। दौलताबाद, महाराष्ट्र के कुछ अजेय किलों में से एक है। औरंगाबाद के बीच प्रति घंटा शटल बसें भी किले तक पहुँच सकती हैं।
खुलदाबाद
खुलदाबाद को महाराष्ट्र , 'वैली ऑफ सेंट्स' के रूप में भी जाना जाता है। खुलदाबाद एलोरा से लगभग 3 किमी की दूरी पर स्थित है। बड़े पैमाने पर सूफी 14 वीं शताब्दी में खुल्दाबाद की ओर पलायन कर गए थे, क्योंकि चिश्ती के कई सूफी संतों ने खुल्दाबाद (अनंत काल का निवास) का आदेश दिया था। इस पवित्र परिसर के भीतर मुगल बादशाह औरंगजेब के आध्यात्मिक मार्गदर्शक मोइनुद्दीन चिश्ती की समाधी है। औरंगजेब का मकबरा भी इस समाधी के पास ही है।
ऐलोरा गुफाओं में प्रवेश करने की टिकट
एल्लोरा गुफाओ में प्रवेश शुल्क टिकट भारत के नागरिकों के लिए 10 रुपये (प्रति व्यक्ति) है और विदेशियों के लिए यह 250 रुपये (प्रति व्यक्ति) है।
एल्लोरा केव्स के खुलने का समय
अगर आप एल्लोरा की गुफा घूमने जा रहे हैं तो हम आपको बता दें कि यह गुफा 24 घंटे खुली रहती हैं।