तिरुपति बालाजी मंदिर का इतिहास, जानिए इस मंदिर के पीछे का रहस्य

भारत के सबसे चमत्कारिक और रहस्यमयी मंदिरों में से एक है भगवान तिरुपति बालाजी। भगवान तिरुपति के दरबार में गरीब और अमीर दोनों सच्चे श्रद्धाभाव के साथ अपना सिर झुकाते हैं। हर साल लाखों लोग तिरुमला की पहाड़ियों पर स्थित इस मंदिर में भगवान वेंकटेश्वर का आशीर्वाद लेने के लिए एकत्र होते हैं। मान्यता है कि भगवान बालाजी अपनी पत्नी पद्मावती के साथ तिरुमला में निवास करते हैं। ऐसी मान्यता है कि जो भक्त सच्चे मन से भगवान के सामने प्रार्थना करते हैं, बालाजी उनकी सभी मुरादें पूरी करते हैं। मनोकामना पूरी होने पर भक्त अपनी श्रद्धा के अनुसार यहां आकर तिरुपति मंदिर में अपने बाल दान करते हैं। 

तिरुपति बालाजी मंदिर का इतिहास
पौराणिक कथाओं से कुछ दिलचस्प कहानियां कहती हैं कि कलि युग के दौरान भक्तों को आशीर्वाद देने के लिए भगवान पृथ्वी पर प्रकट हुए थे। एक बार, ऋषि भृगु यह मूल्यांकन करना चाहता थे कि पवित्र तीन देवताओं में कौन सबसे बड़ा है।
नाराजगी में देवी लक्ष्मी बैकुंठ छोड़कर चली गई। भगवान वि़ष्णु ने देवी लक्ष्मी को ढूंढना शुरु किकया तो पता चला किव देवी ने पृथ्वी पर पद्मावती नाम की कन्या के रुप में जन्म लिलया है। भगवान विनष्णु ने भी तब अपना रुप बदला और पहुंच गए पद्मावती के पास। भगवान ने पद्मावती के सामने विंवाह का प्रस्ताव रखा जिरसे देवी ने स्वीकार कर लिवया।
अब धन कहाँ से आये तब विडष्णु जी ने समस्या का समाधान निाकालने के लि।ए भगवान शि्व और ब्रह्मा जी को साक्षी मानकर कुबेर से काफी धन कर्ज लिसया। इस कर्ज से भगवान विाष्णु के वेंकटेश रुप और देवी लक्ष्मी के अंश पद्मवती का वि्वाह संपन्न हुआ, जो कि एक अभूतपूर्व विवाह था।
शादी के बाद भगवान तिरुमाला की पहाड़ियों पर रहने लगे, कुबेर से कर्ज लेते समय भगवान ने वचन दिवया था किद कलिकयुग के अंत तक वह अपना सारा कर्ज चुका देंगे। कर्ज समाप्त होने तक वह सूद चुकाते रहेंगे। भगवान के कर्ज में डूबे होने की इस मान्यता के कारण बड़ी मात्रा में भक्त धन-दौलत भेंट करते हैं ताकिल भगवान कर्ज मुक्त हो जाएं।

 

प्रतिमा की स्थिति
जब आप मंदिर के गर्भ गृह में प्रवेश करते हैं तो आपको लगेगा कि भगवान श्री वेंकेटेश्वर की प्रतिमा गर्भ गृह के मध्य में स्थित है। आप वहां नतमस्तक होते हैं और भगवान का ध्यान करते हैं। परन्तु जैसे ही गर्भगृह से बाहर आएंगे तो अचंभित रह जाएंगे क्यूंकि बाहर आकर ऐसा प्रतीत होता है कि भगवान की प्रतिमा दाहिनी ओर स्थित है। रोचक ये है कि प्रतिमा को इस प्रकार स्थापित किया गया है कि मंदिर में आने वाले प्रत्येक भक्त का अनुभव समान ही रहता है। अब ये केवल भ्रम है या कोई महिमा इसका पता आज तक कोई नहीं लगा पाया है।

 

तिरुपति बालाजी मंदिर में भगत करते है। बालों का दान 
भगवान के दर्शन करने से पहले श्रद्धालु अपनी प्रार्थनाओं और मान्यताओं के अनुसार यहाँ आकर भगवान् को अपने बाल भेट स्वरुप देते है, जिसे “मोक्कू” कहा जाता है। मंदिर प्रबंधन ने लोगों को अपने बाल दान करने में मदद करने के लिए विशाल सुविधाओं का निर्माण किया है। रोज़ लाखो टन बाल इकट्टे किये जाते है। रोज़ इन बालो को जमा किया जाता है और इन बालों को मंदिर की संस्था द्वारा इसे नीलाम कर बेच दिया जाता है।

 

इस अलौकिक और चमत्कारिक मंदिर से ऐसे रहस्य जुड़े हैं, जिन्हें जानकर आप भी दंग रह जाएंगे।
मुख्यद्वार के दाएं बालरूप में बालाजी को ठोड़ी से रक्त आया था, उसी समय से बालाजी के ठोड़ी पर चंदन लगाने की प्रथा शुरू हुई।
 भगवान बालाजी के सिर पर रेशमी केश हैं, और उनमें गुत्थिया नहीं आती और वह हमेशा ताजा रहेते है।
 मंदिर से 23 किलोमीटर दूर एक गांव है, उस गांव में बाहरी व्यक्ति का प्रवेश निषेध है। वहां पर लोग नियम से रहते हैं। वहीं से लाए गए फूल भगवान को चढ़ाए जाते हैं और वहीं की ही अन्य वस्तुओं को चढाया जाता है जैसे- दूध, घी, माखन आदि।
 भगवान बालाजी गर्भगृह के मध्य भाग में खड़े दिखते हैं लेकिन, वे दाई तरफ के कोने में खड़े हैं बाहर से देखने पर ऎसा लगता है।
 बालाजी को प्रतिदिन नीचे धोती और उपर साड़ी से सजाया जाता है।
 गृभगृह में चढ़ाई गई किसी वस्तु को बाहर नहीं लाया जाता, बालाजी के पीछे एक जलकुंड है उन्हें वहीं पीछे देखे बिना उनका विसर्जन किया जाता है।
 बालाजी की पीठ को जितनी बार भी साफ करो, वहां गीलापन रहता ही है, वहां पर कान लगाने पर समुद्र घोष सुनाई देता है।
 बालाजी के वक्षस्थल पर लक्ष्मीजी निवास करती हैं। हर गुरुवार को निजरूप दर्शन के समय भगवान बालाजी की चंदन से सजावट की जाती है उस चंदन को निकालने पर लक्ष्मीजी की छबि उस पर उतर आती है।
 बालाजी के जलकुंड में विसर्जित वस्तुए तिरूपति से 20 किलोमीटर दूर वेरपेडु में बाहर आती हैं।
 गर्भगृह मे जलने वाले दिपक कभी बुझते नही हैं, वे कितने ही हजार सालों से जल रहे हैं किसी को पता भी नही है।