हरिद्वार के दर्शनीय स्थल और हरिद्वार में घूमने की जगह की जानकारी

हरिद्वार उत्तराखंड राज्य की पहाड़ियों के बीच स्थित एक प्रसिद्ध तीर्थ स्थल है। हरिद्वार या हरद्वार को हिंदुओं के सात पवित्रतम स्थानों (सप्त पुरी) में से एक माना जाता है। हरिद्वार का शाब्दिक अर्थ है- भगवान तक पहुंचने का रास्ता। यही कारण है कि यह शहर अपने धार्मिक महत्व के कारण अधिक लोकप्रिय है। पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान शिव ने इसी स्थान पर अपनी जटा खोलकर गंगा को नदी को मुक्त किया था। गौमुख से 253 किलोमीटर (157 मील) तक बहने के बाद गंगा नदी पहली बार हरिद्वार में गंगा के मैदान में प्रवेश करती है, इस कारण हरिद्वार को इसके प्राचीनतम नाम गंगाद्वार था। माना जाता है कि उज्जैन, नासिक और प्रयागराज (इलाहाबाद) के साथ ही हरिद्वार भी उन चार स्थलों में से एक है, जहाँ आकाशीय पक्षी गरूड़ के घड़े से अमृत की बूंदें छलकी थीं। इस कारण हरिद्वार में प्रत्येक 12 वर्ष पर कुंभ मेले का आयोजन किया जाता है। आइये जानते हैं हरिद्वार में घूमने और देखने की जगह कौन-कौन सी है और उनके बारे में क्या खास है।

हरिद्वार में घूमने की प्रमुख जगह

हर की पौड़ी

हर की पौड़ी, हरिद्वार के पांच मुख्य पवित्र स्थलों में से एक है। एक पौराणिक कथा के अनुसार, यह माना जाता है कि इस स्थान पर भगवान शिव और भगवान विष्णु प्रकट हुए। तब से यह स्थान पवित्र माना जाता है।
हर की पौड़ी, जिसे ब्रह्म कुंड के नाम से जाना जाता है, का निर्माण राजा विक्रमादित्य ने अपने भाई, ब्रिथरी की याद में करवाया था। प्रत्येक बारह वर्षों के बाद, हिंदुओं का शुभ मेला, कुंभ मेला, इस स्थान पर आयोजित किया जाता है। हर की पौड़ी गंगा आरती के लिए प्रसिद्ध है। हर की पौड़ी उसी स्थान पर है जहां दिव्य अमृत आकाशीय कुंभ से गिरा था। इस घाट पर स्थित दो प्रसिद्ध मंदिर गंगा मंदिर और हरिचरण मंदिर आकर्षण का केंद्र हैं।

हरिद्वार की गंगा आरती

हरिद्वार आएं हैं, तो यहां की गंगा आरती में जरूर शामिल हो। यहां होने वाली आरती की सुंदरता का बखान कर पाना बहुत मुश्किल है। यहां की जलती बातियों और बजती घंटियों के बीच यहां के पंडित एक सुर में गंगा की आरती करते हैं। इस आरती में हजारों सैलानी शामिल होते हैं। यहां हर शाम 7 बजे आरती होती है, लेकिन लोगों की भीड़ 5 बजे से ही जुटना शुरू हो जाती है। शाम 6 बजे से ही लोग यहां हर-हर गंगे और जय गंगा मैया बोलने लगते हैं।

माता मनसा देवी मंदिर 

मनसा देवी मंदिर और चंडी देवी माता का मंदिर ये दोनों ही आमने सामने हैं। यहां जाने के लिए आप केबल कार की टिकट खरीद सकते हैं। ये दोनों ही मंदिर पहाड़ों की चोटियों पर स्थित है, जहां आप पैदल भी जा सकते हैं। लेकिन आपको एक बार केबल कार की सवारी का मजा जरूर लेना चाहिए, क्योंकि इतनी ऊंचाई से हरिद्वार शहर बेहद खूबसूरत दिखता है। साथ ही आप ऊपर से बहती गंगा नदी के भी दर्शन कर सकते हैं।

वैष्णो देवी मंदिर 

हरिद्वार के पास निर्मित यह मंदिर जम्मू कश्मीर के कटरा में स्थित प्रसिद्ध वैष्णो देवी मंदिर के जैसा ही है। हरिद्वार का यह वैष्णो देवी मंदिर भी पहाड़ी पर स्थित है। मंदिर तक पहुंचने के लिए के लिए आपको पैदल चढाई कर गुफाओं से हो कर गुजरना होता है। यह मंदिर हरिद्वार से मात्र 5 किलोमीटर की दूरी पर है। इस मंदिर का निर्माण 10 साल पूर्व ही किया गया है परन्तु आज यह मंदिर हरिद्वार के सबसे प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है। यहाँ हर साल लाखों भक्त माता वैष्णो के दर्शन के लिए आते हैं। विशेष रूप से कुम्भ मेले या तीज त्योहारों पर इस मंदिर में भक्तों का ताँता लगा रहता है।

चंडी देवी मंदिर

दोस्तों माता चंडी देवी मन्दिर नील पर्वत पर स्थित है| हरिद्वार से इस मंदिर की दूरी लगभग 2 किलोमीटर है| मंदिर पहाड़ पर है पहाड़ चढ़ने के लिए आप दो तरीके से जा सकते हैं|पहला रास्ता पैदल मार्ग और दूसरा उड़न खटोला जिसे रोपवे भी कहा जाता है| माँ चंडी देवी मन्दिर परिसर में अन्नपूर्णा देवी मन्दिर , जय माँ भद्र काली मन्दिर , काल भैरव मन्दिर , संकट मोचन हनुमान मन्दिर एवं अन्य छोटे-छोटे मन्दिरो की स्थापना भी की गई है|यह मंदिर दुर्गा के रूप माता चंडी का है| नवरात्र व कुम्भ के समय में यहाँ भक्तों की भीड़ होती है |भारत देश में मौजूद माता सती के 52 शक्तिपीठ में से ये एक है|

शांति कुंज / गायत्री शक्तिपीठ

शांतिकुंज ,हरिद्वार और ऋषिकेश मार्ग पर स्थित है| यह हरिद्वार से लगभग 6 किलोमीटर की दूरी पर है| देश में सभी जगह फैले गायत्री परिवार का ये मुख्य गढ़ है. इसे 1971 में बनाया गया था|यहां पर रहना खाना सब कुछ फ्री में मिलता है| यहाँ शरीर, मन व अंत:करण को स्वस्थ, समुन्नत बनाने के लिए अद्वितीय अनुकूल वातावरण, मार्गदर्शन एवं शक्ति-अनुदान मिलते हैं।

पतंजली योगपीठ

यह भारत के सबसे बड़े योग व आयुर्वेद संस्थान की सूची में शामिल है। योग के खोजकर्ता-ऋषि पतंजली के नाम पर इस प्रौद्योगिकी संस्थान का नाम रखा गया है। अगर आप योग विद्या में रुचि रखते हैं तो आप यहाँ बिल्कुल आ सकते है। यात्री यहाँ आयुर्वेदिक जाँच व दवाइयों के लिए आते हैं। यह संस्थान स्वास्थ्य, शिक्षा, सामाजिक व आर्थिक कार्यों में तत्पर रहता है। यहाँ रहने.की भी अच्छी व्यवस्था है।

बड़ा बाज़ार

यह बाज़ार मुख्यतः रूद्राक्ष व आयुर्वेदिक दवाइयों की खरीद के लिए मशहूर है। यहाँ आपको लकड़ी से बनी वस्तुओं व हस्तशिल्प के लिए भी यात्रियों के बीच प्रचलित है। आपको यहाँ लज़ीज़, स्वादिष्ट देशी पेडा़ खाने का भी सौभाग्य प्राप्त होगा। जब आपके मुँह में ये पेड़े घुलेंगे तो आप वाह! किए बिना रह नहीं पाऐंगे। धार्मिक आभूषण भी आप यहाँ आकर बटोर सकते हैं। आध्यात्मिकता में डूबे इस माहौल को विदेशी यात्री भी खूब पसंद करते हैं।

कुंभ मेला

श्रद्धालुओं की भीड़, गंगा स्नान,ऐतिहासिकता, आध्यात्मिकता, पवित्रता इन्हीं सबका संगम है हरिद्वार का कुंभ मेला। गंगा मैया की गूँज व पावन धरती पर अपनी आस्था बिखेरते लोग यही है यहाँ का आकर्षित माहौल। हर बारह वर्ष बाद यहाँ करोड़ो लोगों का सैलाब उमड़ता है जिसने सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि पूरे विश्व को अपने रंगों में लीन किया हुआ है। ऐसा दृश्य जिसे आप अनदेखा नहीं कर सकते। इसी आस्था ने विदेशियों के मन में भी विश्वास जगाया हुआ है और इस पावन नदी के गवाह बनते हैं।

हरिद्वार जाने का उचित समय

वैसे तो हरिद्वार साल के किसी भी वक़्त आया जा सकता है। परन्तु अगर आप हरिद्वार के प्रत्येक स्थान को बिना भीड़ भाड़ के घूमना चाहते हैं तो तीज त्यौहार के समय हरिद्वार ना आते हुए दूसरे समय पर आएं। तीज त्यौहार पर होने वाली भीड़ के कारण यहाँ मंदिरों में दर्शन करने में बड़ी कठिनाई होती है। बारिश के समय भी हरिद्वार आने से आपकी ट्रिप प्रभावित हो सकती है। अत्यधिक बारिश के कारण यहाँ के सभी घाट बंद कर दिए जाते हैं और ऐसे में आप गंगाजी में स्नान करने से वांछित रह सकते हैं।


हरिद्वार कैसे पहुंचें

हरिद्वार भारत के उत्तर में स्थित है। तीर्थ स्थल एवं पर्यटन स्थल होने के कारण यहां आवागमन की बेहतर सुविधा उपलब्ध है। आप हवाई जहाज, बस या ट्रेन के जरिए हरिद्वार पहुंच सकते हैं।