जानिए किन स्थलों को कहा जाता है चार धाम और क्यों मिलेगी पूरी जानकारी

चार धाम से तात्पर्य इन बद्रीनाथ, द्वारका, जगन्नाथ पुरी और रामेश्वरम चार तीर्थस्थानों से है। भारतीय धर्मग्रंथों मंर इनकी चर्चा चार धाम के रूप में की गई है। चार धाम यात्रा का वर्णन धर्मग्रंथों में उल्लेखित हैं कि यह यात्रा न सिर्फ पाप से मुक्त करती है बल्कि जन्म और मृत्यु के चक्र से परे ले जाती है मतलब मोक्ष का मार्ग प्रशस्त करती है। हिन्दू धर्मग्रंथों में वर्णन मिलता है कि जो भी यहां का दर्शन करने में सफल होते हैं, उनके न केवल इस जन्म के पाप धुल जाते हैं, वरन वे जीवन-मरण के बंधन से भी मुक्त हो जाते हैं। लेकिन ये बात प्रायः सभी तीर्थों पर भी समान रूप से लागू होती है। हिन्दू धर्मग्रंथों में यह भी कहा गया है ये वही पवित्र स्थान हैं, जहां पृथ्वी और स्वर्ग एकाकार होते हैं। तो आइये जानते है उन पवित्र चार धाम क बारे में।

चारों धामों का इतिहास


बद्रीनाथ धाम
बद्रीनाथ को बैकुण्ठ धाम भी कहा जाता है। बद्रीनाथ हिंदू धर्म में सबसे पवित्र स्थानों में से एक माना जाता है।108 दिव्य देसमों में से एक, बद्रीनाथ मंदिर, चर धाम और छोटा चार धाम दोनों का हिस्सा है। हिमालय के शिखर पर स्थित बद्रीनाथ मंदिर हिन्दुओं की आस्था का बहुत बड़ा केंद्र है। यह चार धामों में से एक है। बद्रीनाथ मंदिर उत्तराखंड राज्य में अलकनंदा नदी के किनारे बसा है।  बदरीनाथ को आंठवा बैकुंठ भी कहा जाता है। यहां पर विष्णु जी को नर-नारायण के विग्रह रूप में पूजा जाता है। बद्रीनाथ धाम के बारे में एक कहावत प्रचलित है कि 'जो जाए बदरी, वो ना आए ओदरी'। मतलब जो भी व्यक्ति बद्रीनाथ के दर्शन कर लेता है उसे फिर से गर्भ में नहीं आना पड़ता है।मतलब दूसरी बार जन्म नहीं लेना पड़ता है।


जगन्नाथ पुरी धाम
भारत के ओडिशा राज्य में समुद्र के तट पर बसे चार धामों में से एक जगन्नाथपुरी की छटा अद्भुत है। इसे सात पवित्र पुरियों में भी शामिल किया गया है। ''जगन्नाथ" का तात्पर्य होता है सारे जगत के स्वामी।ये मंदिर भगवान विष्णु के अवतार श्रीकृष्ण को समर्पित है। इसमें तीन मुख्य देवता, भगवान जगन्नाथ, उनके बड़े भ्राता बलभद्र, और भगिनी सुभद्रा तीनों अलग-अलग भव्य रथों में विराजमान होते हैं।

 

रामेश्वरम धाम 
भारत के तमिलनाडु के रामनाथपुरम जिले में समुद्र के किनारे स्थित है रामेश्वरम् धाम। यह धाम हिंद महासागर और बंगाल की खाड़ी से चारों ओर से घिरा हुआ एक सुंदर शंख आकार द्वीप है। रामेश्वरम भी शिव के द्वादश ज्योतिर्लिंग में से एक है। यहां मान्यता है की यह पर प्रभु श्रीराम ने शिवलिंग की स्थापना की थी। यह पर भगवान राम ने पत्थर के सेतु का निर्माण भी करवाया था। जो महत्व उत्तर भारत में केदारनाथ और काशी का माना जाता है वही महत्व दक्षिण में रामेश्वरम का है।

 

द्वारका धाम 
गुजरात राज्य के पश्चिमी सिरे पर समुद्र के किनारे स्थित चार धामों में से एक धाम और सात पवित्र पुरियों में से एक पुरी है- द्वारका। माना जाना है की द्वारका को श्रीकृष्ण ने बसाया था और मथुरा से यदुवंशियों को लाकर इस संपन्न नगर को उनकी राजधानी बनाया था।ये भी कहा जाता है की असली द्वारका तो समुद्र में समा गई थी लेकिन उसके अवशेष के रूप में आज बेट द्वारका और गोमती द्वारका नाम से दो स्थान हैं। द्वारका के दक्षिण में गोमती नाम का एक तालाब है। इस तालाब पर नौ घाट बने हुए हैं। यहीं पर निष्पाप नाम का कुंड भी है जिसमें गोमती नदी का पानी भरा हुआ है।

 

यात्रा के दौरान इन बातों का ध्यान रखें 

  • चारधाम यात्रा के दौरान आपको अपनी जरूरी दवाइयां अपने साथ रखनी चाहिए।
  • यात्रा के दौरान गर्म और ऊनी कपड़े साथ रखें क्योंकि इस क्षेत्र का मौसम हमेशा ठंडा रहता है और ऊंचाई पर तो ठंड ज्यादा बढ़ जाती है।
  • चारधाम की यात्रा अकेले करने की बजाए दोस्तों और रिश्तेदारों के साथ करें क्योंकि रूट चैलेंजिंग होने की वजह से मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है